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आदर्श जीवन ।
केवल गुरुभक्ति के निमित्त अपनी पूरी देखरेख में, जिन सज्जन ने इस कामको कराया है उन विनति गुरुभक्त को धन्यवाद देने में पंजाब श्री संघ को अवश्य आगे आना चाहिये । वे सज्जन श्री जैन आत्मानन्द सभा भावनगर के मंत्री हैं और श्रीयुत वल्लभदास त्रिभुवनदास गाँधी उनका नाम है । " ( इस पर होशियारपुर निवासी लाला गोरामल के सुपुत्र लाला अमरनाथ ने कहा- “ श्री आत्मानन्द जैन महा सभा पंजाब की तरफ से उनको एक स्वर्णपदक दिया जावे और उसपर जो खर्च होगा सो मैं अपने पास से दूँगा ।' इसका उपस्थित सभी अन्य सज्जनों ने समर्थन किया । )
इसके बाद आपने स्त्रीवर्ग को सम्बोधित करके कहा :- " मैं इस वक्त आप से भी दो बातें कहूँगा । प्रथम- आप हाथ का जेवर - जो रत्नचौक या हाथ की मैंहदी के नाम से पुकारा जाता है- आगे को नया न बनवावें । मुनासिब तो यह है कि पहला बना हुआ भी न पहनें। इसके पहनने से एक तो हाथ सर्वथा काम करने से रुक जाता है और दूसरे चोर बदमाश को इसके खोसने में कुछ परिश्रम नहीं उठाना पड़ता । इस लिये ऐसे जेवर का न पहनना ही अच्छा है । द्वितीय - कपड़े पर १० तोले से अधिक गोटा न लगवावें और सलमे सितारे को तो छोड़ ही देना चाहिए। इन दोनों बातों की निस्बत महा सभा के दफ्तर से सब शहरों में पत्र आवेंगे जिस किसी माता या बहन को ये बातें पसन्द आयें वह अपना नाम वहाँ
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