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आदर्श जीवन ।
लिखा देवे ।" और भी कई उपयोगी कामों की तरफ सभासदों का ध्यान खींचते हुए उपदेश के साथ ही आपने सभा को विसर्जित किया।
आभार और उपसंहार लाहौर में होने वाली प्रतिष्ठा और आचार्य पदवी का संक्षिप्त विवर्ण हमने पाठकों की सेवा में उपस्थित कर दिया। इतने बडे कार्य की सम्पादनता में हमें जो सफलता प्राप्त हुई है वह सब स्वर्गवासी गुरु महाराज की कृपा और यहां पर विराजमान साधु मुनिराजों का अनुग्रह तथा बाहर से आने वाले साधर्मि बन्धुओं की मेहरबानी का नतीजा है। सब से प्रथम हम स्वामि श्री सुमतिविजय जी महाराज को धन्यवाद देते हैं कि जिन्हों ने हमें हरएक प्रकार से प्रोत्साहित किया। तथा श्री देव श्री जी आदि सतियों के भी हम कृतज्ञ हैं कि हमारे इस उत्सवमें जंडयाला से विहार करके पधारी। पंजाबके अतिरिक्त बम्बई आदि प्रान्तों से आनेवाले धर्मबन्धुओंके हम विशेष आभारी हैं कि जिन्हों ने इतनी दूर से आकर हमारे उत्सव की शोभा को बढ़ाया। विशेष कर लाहौर तथा स्यालकोट के परम्परा वाले स्थानिक वासी भाइयों को तो जितना धन्यवाद दिया जाय उतना कम है । इस मौके पर उन्हों ने हमारी आशा से बढ़कर मदद की है। और साथ में हम अपने यहां के दिगम्बरी भाइयों की इमदाद के भी बहुत २ मशकूर हैं, तथा राजा ध्यान
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