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________________ ܪ܇ ܕܕܕ܇܇܆܇ ܀ ܂ ४४२ आदर्श जीवन। www. wwwwwwwwwwww गूंज रहा है। अमृतसर, जंडयाला, होशयारपुर, पट्टी, कसूर, रोपड़ और अम्बालादि शहरों की भजन मंडलियों ने अपने उत्तमोत्तम भजनों द्वारा जनता को खूब ही आनन्दित किया। तथा ओसिया की भजन मंडली का अभिनय तो दर्शकों के लिये बिलकुल ही नई चीज़ थी। इसलिये जैन समाज की उसके साथ इतनी भीड़ थी कि कहीं २ पर तो उसके अभिनय के लिये स्थान बनाने में ही बड़ा हैरान होना पड़ा ताथा। इस भजन मंडली के दर्शन हम को बीकानेर निवासी श्रीमान् सेठ सुमेरमलजी सुराणा और उदयचन्दजी रामपुरिया की मेहरबानी से हुए तदर्थ हम उनके आभारी हैं। _प्रतिष्ठा-सोमवार का दिन बड़ा ही सौम्य और मंगलजनक था । उसरोज भगवान् श्रीशांतिनाथ को गद्दीपर विराज मान करने और परमपूज्य महाराज श्री वल्लभाविजयजी को आचार्य पद पर प्रतिष्ठित करने की शुभ क्रिया का सम्पादन बड़े ही समारोह से किया गया। लाहौर शहर में ये दो कार्य ऐसे हुए हैं जो कि वर्तमान जैन इतिहास में निस्सन्देह स्वर्णाक्षरोंसे अंकित करने योग्य हैं। - आवश्यक उपयागी क्रिया हो चुकने के बाद ठीक नौं बजकर पैंतीस मिनिट पर भगवान् बड़े ही उत्साह और समारोह के साथ गद्दी पर विराजमान किये गये । भगवानको गद्दीपर विराजमान करने और रथयात्रा की बोलियोंके तथा भेटके कुल मिलाकर १२५४० रुपयेकी मंदिरजी मैं आमदनी हुई थी। . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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