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आदर्श जीवन ।
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यह प्रतिष्ठा जैनाचार्च श्रीमद्विजयवल्लभ मूरि महाराज के पवित्र करकमलों से हुई। यह संघ के लिए उत्तरोत्तर पूर्णतया कल्याणकारी, मंगलकारी और अभ्युदयकारी होगी ऐसा हमारा (श्रीसंघ का) दृढ एवं अटल विश्वास है । शासनदेव से हमारी बार २ प्रार्थना है कि वे हमारे इस विश्वास में अणु मात्र भी फर्क न आने देवें ।
आचार्य पदवी प्रदान आचार्य पदवी को इससे बढ़कर और सौभाग्य क्या हो सकता है कि वह बहुत समय से जिस अनुरूप वर की प्राप्ति के लिये घोर तपस्या कर रही थी वह उसे मिल गया। उसकी
आचाय पदवी की-दीर्घ कालीन तपश्चर्या ने अपना फल दिखाया तथा समस्त संघ के विनीताग्रह और बड़ों की आज्ञा को शिरोधार्य करते हुए आचार्य पदवी को विभूषित करने में महाराज श्रीवल्लभविजयजी ने भी जो उदारता दिखाई है तदर्थ आप श्री को अनेकानेक साधुवाद ! आपकी आचार्य पदवी का संक्षिप्त इतिहास इस प्रकार है।
इन्कार · तपोगण गगन दिनमणि श्रीमद्विजयानन्द मूरि आत्मारामजी महाराज के स्वर्गवास होने के बाद, पंजाब श्री संघ की इच्छा, पूज्यपाद महाराज श्रीवल्लभविजयजी को ही, स्वर्गवासी गुरुमहाराज की इच्छा के अनुसार, उनके पट्ट पर विभूषित करने की थी; परन्तु महाराजश्रीने इस पर. अपनी सर्वथा अनिच्छा प्रकट करते हुए कहा कि, मेरे सिर पर अभी
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