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आदर्श जीवन ।
पधारे कुल स्त्री पुरुषों की संख्या अनुमान चार से पाँच सहस्र की थी ।
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व्याख्यान - नवीन मुद्रित प्रोग्राम के अनुसार, शुक्रवार की रात उक्त मंडप में, न्यायाचार्य पंडित सुखलालजी संघवी और पंडित हंसराजजी शास्त्री के, सामाजिक विषय पर बड़े ही रोचक व्याख्यान हुए । शनिवार को सवेरे ८ बजे के करीब महाराज श्रीवल्लभविजयजी का एक बड़ा ही सार गर्भित धर्मोपदेश हुआ। दो पहर के दो बजे पंन्यासजी श्री सोहनविजयजी महाराज ने बड़ी ओजस्वीनी भाषा में जैन समाज के सामयिक कर्त्तव्य को सूचित किया । रात्रि को पंडित हंसराजजी का ' वर्त्तमान समय में जैन समाज को किसमार्ग का अनुसरण करना चाहिये' इस विषय पर एक छोटा सा लेकीन भावपूर्ण, भाषण हुआ । अनन्तर बोधपूर्ण कई एक भजनों के बाद सभा विसर्जित हुई ।
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सवारी - रविवार का दिन बड़ा ही उत्साहपूर्ण था ! आज के दिन भगवान् की सवारी बड़ी ही धूमधाम से निकलनेवाली थी । सोने चांदी के रथ और पालकियाँ सुसज्जित हो रहे थे । महेन्द्र ध्वजा फहरा रही थी | तात्पय्य यह कि सवारी का सभी सामान तैयारी के पूर्ण यौवन में था । प्रातःकाल महाराज श्री का एक बड़ा ही पुरअसर उपदेश हुआ। इसके बाद रथ आदि की बोलियाँ हुई अनन्तर लोग भोजन के लिये भोजनशाला में चले गये । ।
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