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आदर्श जीवन ।
यजी तथा बाहिर से आनेवाले अन्यान्य विद्वानों के प्रभावशाली व्याख्यान तथा भजन मंडलियों के मनोहर भजन हुआ करते थे ।
इसी शोभनीय विशाल मंडप में प्रातः स्मरणीय महाराज श्रीवल्लभविजयजी तथा पंन्यास श्रीसोहनविजयजी को समस्त चतुर्विध संघने एक मन होकर क्रमशः आचार्य और उपाध्याय पदवी से समलंकृत करके अपनी कृतज्ञता का परिचय दिया ।
आमंत्रणके पहुँचते ही पंजाब के सभी साधर्मी बन्धुओं ने इस शुभ कार्य में हमारी हरएक प्रकार से सहायता की । अंबाला, होशियारपूर, गुजरांवाला, नारोवाल, मालेरकोटला, लुधियाना और जंडयाला आदि जिन २ शहरों में सोना चांदी के रथ पालकी, आसे, चामर और चाँदनी आदि बहुमूल्य सामान लेने के लिये यहाँ से जो आदमी गये उनको वहाँ २ के श्रीसंघ ने और भी प्रोत्साहित किया तदर्थ हम उनके कृतज्ञ हैं ।
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मार्गशीर्ष शु० द्वितीया शुक्रवार से पंचमी सोमवार तक का प्रोग्राम था । इस अवसर में अपने दिलों में पूर्ण उत्साह को लिये हुए लोग अधिकाधिक संख्या में आने लगे । बाहर से आने वाले बंन्धुओं की सुविधा के लिये स्टेशन पर स्वयंसेवक मौजूद रहते थे । पंजाब के अलावा काठियावाड़, गुजरात, मारवाड़, और बंगाल आदि मान्तों से भी कई एक सम्भावित सद्गृहस्थ इस अवसर पर पधारे थे । उत्सव में
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