SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 489
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४३८ आदर्श जीवन । श्रीसंघके पुण्याति कन इस कदर जोर मारा कि आपश्रीका चतुर्मास लाहौर में ही हुआ। इससे प्रथम आप श्रीका लाहोरमें चतुर्मास नहीं हुआ था। प्रतिष्ठा की तैयारी । महाराज श्रीवल्लभविजयजीका चतुर्मास लाहौर में होना निश्चित हुआ देख लाहौरनिवासियोंके हर्ष और उत्साहका पारावार न रहा । उन्होंने तत्काल ही महाराजश्रीकी सेवामें उपस्थित होकर, प्रतिष्ठाके मुहूर्तका निश्चय करने और तदर्थ आमंत्रणपत्रिका प्रकाशित कराकर वितीर्ण करनेकी शुभ अनुमति माँगी । तदनुसार प्रतिष्ठाका शुभ मुहूर्त विक्रम सं० १९८१ मार्गशीर्ष सुदी पञ्चमी सोमवारका स्थिर हुआ । मुहूर्तके निश्चित हो जाने पर अब धीरे २ प्रतिष्ठा सम्बन्धी कार्यकी तैयारी होने लगी । समय नजदीक आने पर पंजाबके हर एक शहर, कसबा और ग्राममें आमंत्रण पत्रिकाएँ भेजी गई तथा देशान्तरस्थ सद्गृहस्थोंको भी आमंत्रण भेजा गया । प्रतिष्ठा सम्बन्धी प्रबंधके लिये एक प्रबन्धकारिणीसमिति बनाई गई उसने प्रतिष्ठा सम्बन्धी इस महान कार्य को बड़ी ही योग्यता से किया । भक्तनिवास-जहाँ पर महाराजजी. साहिब विराजमान थे-के नज़दीक राजा ध्यानसिंह की हवेली में एक बड़ा ही विशाल और सौंदर्यपूर्ण मण्डप बनाया गया, उस में महाराज श्रीवल्लभविजयजी पं० श्रीसोहनविज Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy