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________________ आदर्श जीवन । खीमचंदभाई बिस्तर उठाकर रवाना हुए। आपने भाईके हाथसे बिस्तर ले लिए। दोनों स्टेशन पर दोनों भाइयोंका कैसा स्नेह था । सच है - सब दिन जात न एक समान । सभी रेलमें बैठे । गाड़ी रवाना हुई । बरात गाँव समनी में जानेवाली थी, इसलिए पालेज के स्टेशन पर उतर गई । समनी - वाले गाड़ियाँ और छकड़े लेकर बरातको लेने के लिए सामने आये थे । उन्हें कहा गया कि, " बरात में एक लड़का है । उसका नाम छगनलाल है । वह प्रासुक पानी पीता है और रातको भोजन नहीं करता । इसलिए पहले एक आदमीको भेजकर उसके लिए भोजनका इन्तजाम कराओ । ऐसा न हो कि, बरात पहुँचे तबतक रात हो जाय या तबतक भोजनकी वहाँ तैयारी ही न हो और उसे भूखा रहना पड़े । " समनीवालोंने एक आदमीको घोड़ेपर आगे भेज दिया । उसने वहाँ जाकर सब प्रबंध कर दिया । बरात भी एक घंटा दिन रहते ही समनी गाँव के पास पहुँच गई । गाँवके बरात ठहर गई । समैयाकी - जुलसके साथ बरातको जानेकी - तैयारी होने लगी । लड़कीवालोंकी तरफ़के एक आद मीने आकर कहा कि, " सामैये में अभी देर लगेगी; रातहोगी । ज्यादा रात भी हो जाय । इसलिए जिनको रात्रिका नियम है वे चलकर भोजन करले । छगनलालजीको भेज दीजीए । 92 3 Jain Education International ३.३. दौड़कर अपने पहुँचे । आज For Private & Personal Use Only बाहर ही गाँव में ले www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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