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आदर्श जीवन।
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दुपहर बाद विहार किया। चलते चलते रात हो जानेसे मार्गहीमें एक आमके वृक्षके नीचे आपने रात बिताई। . वहाँसे लुधियाने पधारे। बड़े समारोहके साथ आपका नगरप्रवेश हुआ । उपाश्रयमें व्याख्यानमें करीब एक हजार आदमी हिन्दु मुसलमान सभी जमा हुआ करते थे। जगहकी कमी होनेसे वहाँ दो कोठोंकी दीवारें तोड़ देनी पड़ी । एक मुसलमानने अपने कुटुंबके सात आदमियों सहित मांसाहारका त्याग कर दिया।
एक ब्राह्मणका लड़का बड़ा ही शराबी था। आपके उपदेशसे उसने शराबका त्याग कर दिया और व्याख्यानमें ही सबके सामने प्रतिज्ञा की कि, आजके बाद यदि मुझे कोई शराव पीते देख लेगा या मुझे शराब पिये हुए बता देगा तो मैं उसे पर्चास रुपये दूँगा। इतना ही नहीं उसने पचीस रुपये भी अन्यत्र रख दिये।
वहाँसे जब आप रवाना होने लगे तब हिन्दु मुसलमान आदि सबने आपसे वहीं चौमासा करनेकी विनती की । उन्होंने यह भी कहा कि,-" यदि आप यहीं चौमासा करें तो हम तीस चालीस हजार रुपये लगाकर एक पाठशाला स्थापित कर दें।"
आपने फर्माया:-" पंजाबके सारे संघने मिलकर अंबालेमें चौमासा स्थिर कर दिया है, इस लिए संघको मान देकर मैं चौमासा अंबालेहीमें करूँगा।"
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