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________________ आदर्श जीवन । पधारने को कहा। उन्होंने दर्शन करके लौटते समय आनेकी बात कही । लौटते समय वे आये । हमारे चरित्रनायकके शिष्योंने सामने जाकर उनका स्वागत किया । आपने भी खड़े होकर उनका सत्कार किया खूब आनंदसे कोई दो घंटेतक बातचीत होती रही । जाते हुए वे दुपहरको शहरमें आनेका हमारे चरित्र नायकको आमंत्रण दे गये । आप दुपहरको पधारे। उन्होंने भी आपका योग्य स्वागत किया। दोनों महात्मा बहुत देर तक वार्तालाप करते रहे । उदयपुरसे संघ रवाना हुआ । कायाकी चौकी से बोलावोंके अलावा एक थानेदार भी संघकी रक्षा के लिए केसरियाजी तक साथ गया था । वह हमारे चरित्रनायकका अच्छा भक्त हो गया था। संघ केसरियाजी पहुँचा । संवत १९७७ चैत्र सुदी दशमी सोमवारको संघ सहित श्रीकेसरिया बाबाकी यात्राकर आपने आनंद माना । इस संघ २७ साधु और ६९ साध्वियाँ तथा डेढ हजारके करीब श्रावक श्राविकाओंका समुदाय था । वहाँ साधुओंके और संघपतिके आग्रहसे आपने आदीश्वरजीकी पूजा बनाई थी । वह वहीं अहमदाबादनिवासी जौहरी भोगीलाल ताराचंदके आग्रहसे और उन्हींके खर्च से पढ़ाई गई । उसको पहली बार संघवीने छपाकर प्रकाशित किया था । वहाँ एक साधर्मीवात्सल्य भी हुआ था । प्रतापगढ़निवासी सेठ लक्ष्मीचंदजी घीया आदि कुछ श्रावक श्रीकेसरीयानाथकी Jain Education International ३७१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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