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आदर्श जीवन।
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भगवानकी एक बहुत बड़ी प्रतिमा है । वह अदबदबाबाके ( अद्भुतबाबाके ) नामसे प्रसिद्ध है। - एकलिंगजीसे विहारकर आप संघके साथ उदयपुर पहुँचे । वहाँ तीन दिन निवास किया और शहरके सारे निकट और दूरके जिनालयोंकी यात्रा की।
शहर यात्रा करते हुए श्रीसंघके साथ आप मालदासकी सेरीमें चाहबाईके उपाश्रयान्तर्गत श्रीजिनमंदिरके दर्शनार्थ पधारे । उस समय उस उपाश्रयमें बालब्रह्मचारी १००८ श्रीविजयनेमिसूरी महाराज ठहरे हुए थे । आप संघ सहित सहर्ष उस स्थानपर पधारे । श्रीविजयनेमिमूरिजीने भी हर्ष प्रदर्शित किया । परस्परका योग्य शिष्टाचार देखकर श्रीकेसरियाजीके संघने, जो आपके साथ आया हुआ था और उदयपुरके श्रीसंघने दिलमें अपूर्व आनंद प्राप्त किया। इस दृश्यसे श्रावक समुदायपर जो कुछ प्रभाव पड़ा उसे वही जानता है। अन्यान्य मन्दिरोंमें देवदर्शन करने थे इसलिए अधिक समय आप वहाँ बैठ न सके तो भी करीब आध घंटेके आप वहाँ बैठे और परस्पर वार्तालाप कर आनंद उठाया । अगले रोज अर्थात् दूसरे दिन वे दादावाड़ीमें-जो चौगानके पास, हाथी पोलके बाहर है-दर्शन करने जा रहे थे। हाथी पोलके बाहर धर्मशालामें हमारे चरित्रनायक ठहरे हुए थे। वहाँ उस समय पंन्यासजी श्रीललितविजयजी महाराज खड़े हुए थे । उन्होंने नम्रता पूर्वक श्रीविजय नेमिसरिजी महाराजसे अंदर
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