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________________ आदर्श जीवन । लिया । भला अपने गाँवमें अपनी जानमें, अपने गुरुओंकोपंचमहाव्रतधारी साधुओंको - अनाहार देखकर कोई अन्नग्रहण करेगा ? अन्तमें दुपहरके बाद आपस में समझौता हुआ और दोनों तरफ के लोगोंने आपसे क्षमा माँगी और आपका उपकार भी माना । जब समझौता हो चुका तब शामको सभी साधु साध्वियोंने और संघने आहारपानी लिया । देसूरी से संघ फाल्गुन वदि १ के दिन जीलवाड़े पहुँचा । वहाँ एक जिनालय और ५० श्रावकोंके घर हैं । ३६९ जीलवाड़े से गढ़वोर पराली, केलवाड़े होता हुआ संघ राजनगर पहुँचा | राजनगर में राणा राजसिंहजीका बनवाया हुआ एक बहुत बड़ा तालाब है । उसकी परिधि करीब बारह कोसकी बताई जाती है । उसको बनवाने में एक करोड रुपये खर्च हुए थे । राजनगरहीमें पहाड़ी पर एक जिनालय है । उसमें चौमुखे महाराज विराजमान हैं । उस मंदिरको राणा रायसिंहजीके मंत्री दयालशाहने बनवाया था । उसको बनवानेमें एक पैसा कम एक करोड़ रुपये उसने खर्च किये थे। पूरे करोड़ करनेमें राणा साहबकी नाराजगीका खयाल था । इसी लिए उसने एक पैसा कम खर्च किया था । राजनगर से संघ नाथद्वारे पहुँचा । यहाँ एक जिनमंदिर है । नाथद्वारसे देलवाड़े पहुँचा । उसमें तीन जिन मंदिर : हैं । देलवाड़ेसे एकलिंगजी पहुँचा । वहाँ शान्तिनाथ २४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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