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________________ ३४४ आदर्श जीवन। Navyu-~ सा गुलाबचंद मोतीजी, सा मना गोवाजी, सा अनोपचंद पुनमचंदजी, और छोटी चार तडोंके सा खमाजी भाणाजी, सा फोजाजी उमाजी, सा भूताजी तलोकजी और सा इंदुजी गुलाबजी। कुल आठ आदमी मुकरर किये गये। इनको जुदा जुदा बुलाकर जो जो दरियाफ्त करना मुनासिब समझा गया किया गया । कहीं किसी बातके लिए और किसी आदमीकी जरूरत पड़ी तो ऊपर लिखे मुसम्मातके बताये आदमीको भी साथमें शामिल किया गया मगर कार्रवाई सब मुकर्रर किये आदमियोंके नामसे ही की गई । सबके इजहार लिखतबंद करके उसपर उनके दस्तखत कराये गये। अब इन सब इजहारोंसे और बातचीतसे जो कुछ मेरी समझमें आया, उस मुजिब मैं आप लोगोंको सूचना करता हूँ। आप यदि अपनी की हुई लिखित प्रतिज्ञापर बराबर कायम रहकर इसका पालन करेंगे तो आप सुखी होंगे आपके बालबच्चे सुखी होंगे और धर्मकी वृद्धि होगी। - इस पुराने करीब तीस वर्षके कुसंपका मूलकारण भादरवा सुदी पंचमीको प्रति वर्ष श्रीमंदिरजी पर धजा चढ़ाई जाती है। उसपर साथिया निकालनेका है चौवटिये कहते हैं कदीमी हमारा साथिया प्रथम निकलता आया है । हम ही निकालेंगे। शहर दारोंका कहना है जो घी आदिकी बोलीसे धजा चढ़ावे उसका साथिया पहला होना चाहिये बादमें चौवटिया खुशीसे करे । हमारा कोई उजर नहीं है। मगर इनका साथिया पहला होनेसे समझमें आया, की हुई लिाखामखी होंगे अ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org |
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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