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________________ आदर्श जीवन। comnoned - स्वर्गीय गुरु महाराज श्री १००८ श्रीमद्विजयानंद मूरिजीकी जयन्तीका दिन आया। आपने उस दिन इस तरहसे उपदेश दिया; इस तरहसे सबको उनकी भूलें बताई कि, उसी समय वे सभी गले मिल गये और इस मजमूनका प्रतिज्ञापत्र हमारे चरित्रनायकको लिख दिया कि, आप हमें जो फैसला देंगे उसे हम सभी स्वीकार करेंगे। __ अपने दो दिनतक खाने पीनेकी परवाह किये बिना सबकी अच्छी तरहसे जाँच करके जो फैसला दिया था उसकी नकल यहाँ दी जाती है। ... फैसला। श्रीवीर परमात्मने नमः। . सकल श्रीसंघ-महाजन-खीवाणदी निवासी योग्य, वल्लभविजयकी तरफसे धर्मलाभके साथ सूचना दी जाती है कि, क्षेत्र फरसना वश विचरते हुए जेठ सुदी १ शुक्रवारको आपके शहरमें मेरा आना हुआ । परिचयसे मालूम हुआ कि आपके शहरमें बहुत अरसेसे कुसंप चलता है जिसकी वजहसे आपके यहाँ छोटे मोटे कई धड़े पड़ गये हैं। उपदेश द्वारा आपको कुसंप हटाना सूचित किया गया। आपके हृदयोंमें संप कर लेना उचितसा मालूम हो गया। आप लोगोंने एक प्रार्थना पत्र लिखकर सबके हस्ताक्षर करा, मुझे सपुर्द कर दिया कि आप जो आज्ञा फरमावें हम सब मंजूर करेंगे । जिसपर बड़ी तडके-सा अनोपचंदजी गुलाबजी, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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