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आदर्श जीवन।
शुभ आकांक्षाओंका किला विध्वंस हो रहा है तो भी मुझसे यह कहे बिना नहीं रहा जाता कि आपके यहाँ चौमासा करनेसे जितना धर्मज्ञानका प्रचार और धर्मका उद्योत होगा उतना वहाँ करनेसे नहीं।" - आपने फर्माया:-" आप समझदार हैं। जहाँ धर्मका विशेष उद्योत हो वहीं पर रहना मेरा कर्तव्य है; मेरे जीवनसे धर्मकी जितनी सेवा हो उतना ही जीवन मैं अपना सफल समझता हूँ। क्षेत्र स्पर्शना हुई तो अगले बरस मैं चौमासा बीकानेरहीमें करूँगा।" ___ सादड़ीसे दो साधुओं और कुछ श्रावकोंको साथमें लेकर आपने वैशाख सुदी २ सं०१९७६ के दिन विहार किया । तेज धूप मारवाड़ की तपी हुई धरती ऐसेमें आप गोडवाडका उद्धार करनेके लिए घाणेराव, आदि गाँवोंमें विहार करते
और लोगोंको धर्मामृत पिलाकर गोडवाड महाविद्यालयके लिए फंड जमा करनेका उपदेश देते हुए खिवाणदी जेठ सुदी १ के दिन पधारे । वहाँ केवल दो व्यक्तियोंने रकम भरी, फिर चंदा होना रुक गया। कारण यह था कि वहाँ आपसमें कुछ टंटा था । और उस टंटके कारण धीरे धीरे वहाँ पाँच धडे हो गये थे। - हमारे चरित्रनायकने उन्हें टंटा मिटानेका उपदेश देना प्रारंभ किया। सबके मन धीरे धीरे अपनी भूलको समझकर पसीजने लगे।
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