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________________ आदर्श जीवन। ३४१ मुजिब एक लाख यहाँ होनेकी संभावना है । अधिक हो जावे तो भी आश्चर्य नहीं । साथमें यहाँके मुखिया पंचोंने यह भी स्वीकार कर लिया है कि, गोडवाडके प्रति ग्राममें हम आपके साथ चलेंगे और उनको समझावेंगे। आपकी कृपासे आपकी इच्छानुसार विद्योन्नतिके लिए दश लाखकी रकम गोडवाडमेंसे इकट्ठी हो जानेकी हम उम्मीद करते हैं । इस प्रकारका उत्साह यहाँके श्रीसंघका देखकर मेरा विचार यहीं चौमा. साका कस्नेका हो गया है । इस लिए तुम आगे नहीं बढ़ना । कुछ दिन वहाँके श्रीसंघको उपदेश सुनाकर बादमें विहार करके, यहाँ वापिस आ जाना" बीकानेरवालोंको पूर्ण आशा थी कि, इस बार आपका चौमासा बीकानेरहीमें होगा; मगर जब उन्होंने सादड़ीमें चौमासा होनेकी बात सुनी तब उन्हें जरा दुःख हुआ। यह स्वाभाविक है कि, मनुष्यकी जब आशा भंग होती है तब उसे दुःख हुए बिना नहीं रहता । वह आशा भले बहुत बड़ी हो या बहुत छोटी । सेठ सुमेरमलजी अपने वृद्ध पिता और अन्यान्य दस बारह श्रावकों सहित बीकानेरहीमें चौमासा करने और अभीसे बीकानेरकी तरफ़ विहार करनेकी साग्रह विनती करनेके लिए आये मगर सादड़ीमें जब उन्होंने श्रावकोंका आग्रह, उत्साह और विद्याप्रचारके लिए इतना प्रयत्न देखा तो वे चुप हो रहे और आपसे हाथ जोड़कर बोले:-" गुरुदेव आपके यहीं चौमासा करनेसे मेरा अनेक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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