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आदर्श जीवन ।
कहा था कि,-"मुनि श्रीवल्लभविजयजीके पाटनमें आनेसे मुझे अत्यंत संतोष और आनंद हुआ है।"
मुनि महाराज श्रीललितविजयजीने उपदेश दिया था कि, चारूपके कारण पाटणनिवासियोंमें जो अव्यवस्था हो गई है उसे मिटा देना चाहिए।
सभाके समाप्त होनेपर पाटनके सूबा साहबने और अन्यान्य अधिकारी वर्गने आपके पधारनेसे पाटन निवासियों पर जो उपकार हुआ है उसके लिए आपके प्रति कृतज्ञता प्रकट की थी।
पाटनसे विहार कर आप चारूप पधारे । करीब ३००४०० जैन जैनेतर सज्जन आपके साथ गये थे। वहाँ पंचकल्याणककी पूजा पढ़ाई गई थी । प्रतिमाजीके विराजनेके लिए कोइ उत्तम सिंहासन नहीं था आपके उपदेशसे करीब चार सौ रुपये वहीं जमा हो गये थे। __ चारूपसे विहार कर आप मेत्राणे पधारे । वहाँ पालनपुरका संघ आपके सामने आया।।
मेवाणेसे विहारकर आप जगाणे पधारे । वहाँ उपाध्यायजी महाराज श्रीवीरविजयजीके कालधर्म प्राप्त होनेके समाचार मिले । शोक सभा की गई और पालनपुरके संघने पंचकल्याणककी पूजा पढ़ाई।
जगाणेसे विहार कर पोस वदी १० के दिन आप पालनपुर पधारे । पालनपुरके श्रीसंघने बड़े उत्साहके साथ आपका स्वागत किया।
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