SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 366
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आदर्श जीवन। ३२९ वहाँ आपने तीन प्रसिद्ध आचार्योंकी मूर्तियोंकी प्रतिष्ठा करवाई। ये मूर्तियाँ आचार्य श्रीसोमसुंदर सूरिजी, जगद्गुरु, श्रीहीरविजय मूरिजी और आचार्य श्रीमद्विजयानंद मूरिजीकी थीं। मूर्तियाँ मुनि श्रीहंसविजयजी महाराजके उपदेशसे तैयार हुई थीं । और श्रीपल्लविया पार्श्वनाथजीके मंदिरमें स्थापित की गई थीं। अट्ठाईस दिन तक महोत्सव होता रहा । ___ व्यावहारिक विद्याके साथ ही धार्मिक विद्या भी विद्यार्थियोंको मिले इस हेतुसे आपने वहाँ एक बोर्डिंग खालनेका श्रावकोंको उपदेश दिया। चंदा शुरू हुआ । हजारों रु. जमा हुए । बोर्डिंग खुला । उसका नाम पालनपुर जैनविद्यालय रक्खा गया । इस समय पन्द्रह बीस विद्यार्थी उससे लाभ उठा रहे हैं। करीब सत्तर हजारका उसका फंड है। पालनपुरसे आपने तारंगाजी तीर्थकी यात्राके लिए विहार किया। तारंगाजीकी यात्रा कर कुंभारियाजीको पधारे और वहाँकी यात्रा कर सीधे आबूजी पधारे । आबू और अचलगढ़की यात्राकर, वहाँके संसार प्रसिद्ध मंदिरोंके दर्शन कर रोहिडेके रस्ते लोटाणा, नाँदिया वगैरहकी यात्रा करते हुए बामणवाड पधारे । वहाँ प्रभु महावीरकी यात्रा की और वहाँके चंडकोसिया, कानोंसे कीलियोंका निकालना, पहाड़का फटना, आदिकी पहिचानके लिए स्थापित दृश्योंको देखते हुए और वीर परमात्माके अलौकिक गुणोंका स्मरण करते हुए। आप पिंडवाडे पधारे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy