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आदर्श-जीवन |
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कष्ट सहकर आत्मारामजी महाराजने वहाँ चौमासा किया था और भविष्य के साधुसाध्वियोंके लिए मार्ग निष्कंटक बना दिया था। कहा जाता है कि, सैकड़ों वर्षोंके बाद आत्मारामजी महाराजका ही चौमासा सबसे पहले इस परम प्रभाविक तीर्थ पर हुआ था और उन्हींने पालीतानेके श्रावकवर्ग में साधुभक्ति का बीज बोया था। उसके बाद अनेक मुनिराजोंके -- महाजनो येन गतःस पंथाः ' कहावत के अनुसार वहाँ चौमासे हुए हैं । अस्तु ।
श्रावकोंने विनती की, " यदि आप वहाँ चौमासा करना स्वीकार करें तो हम लोग भी सकुटुंब वहाँ चौमासेमें रहेंगे।" सेठ प्रेमाभाई और सेठ दलपतभाईने जो अहमदाबाद संघके मुखिया थे विनती की स्वीकार करनेका अनुग्रह करें। ठीक हो जायगा । ”
“ आप इस प्रार्थनाको आपके पुण्यप्रतापसे सबकुछ
"
कि,
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महाराजने फर्मायाः - " अच्छी बात है । ज्ञानीने जैसी स्पर्शना देखी होगी, वैसा ही होगा । "
बाहर आये हुए श्रावकोंने प्रेमाभाई और दलपतभाई से कहा कि- " आप महाराज साहबका विहार पालीतानेकी तरफ ही करावें और पालीतानेकी तरफ विहार होनेपर हमें सूचना दें ताके हम वहाँ जानेकी तैयारी करें । "
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