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आदर्श जीवन ।
सम्मानकी रक्षा हो । अपने यानी पाटनके एक नेताके अपमानमें अपना ही अपमान समझना चाहिए । इस लिए फैसलेके संबंध में विशेष कुछ न करके फकत उससे भविष्य में जिस हानिकी संभावना है उसको रोकनेका प्रयत्न करना चाहिए । इसके लिए मोतीचंद भाई जैसे किसी कानून के जानकार से सलाह लेकर फैसला देनेवाले सेठसे पूछा जाय कि आपने जो फैसला दिया है वह दोनों पक्षोंका विरोध रोकने के लिए अपनी इच्छानुसार दिया है या जैनधर्म शास्त्रानुसार दिया है ? इसी तरह यह फैसला वर्तमानके लिए ही दिया है या भविष्य के लिए भी इसका उपयोग हो सकता है ? इन दोनों बातोंका स्पष्टीकरण आपके फैसले में नहीं है इसी लिए आपसे पूछा गया है । आशा है तत्काल ही उत्तर देकर आप जैन संघको संतुष्ट करेंगे ।
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मेरी समझमें पाटनका श्रीसंघ इतना करे, संघ हीं नहीं श्वेतांबर जैन कॉन्फरेंस और जैन एसोसिएशन ऑफ इण्डियाकी तरफसे भी यह कार्य हो तो फैसलेकी रजिस्ट्री होनेसे जो भय है वह मिट जाय ।
अच्छी तरह विचार करके कार्य करना । बहुत जल्दी न करना | जल्दबाजी से पाटणके श्रीसंघमें दोदल हो जानेकी संभावना है । इस लिए इस बातका खास ध्यान रखना कि जैन संघ में आपसहीमें फूट न पड़ जाय । फूट होते देर न न लगेगी मगर एक होते बरसों बीत जायँगे । अतः इस
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