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आदर्श जीवन ।
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नायक अजितनाथ प्रभु विराजमान हैं । यात्रा-दर्शन करने योग्य है । यह स्टेशन उदवाड़ेसे ३-४ माइल और वापीसे ५-६ माइल है । आप पन्द्रह दिन तक वहाँ विराजे और लोगोंको शिक्षाप्रचारका उपदेश दिया।
लोगोंने आपसे प्रार्थना की,-" आप यहीं चौमासा करनेकी कृपा करें । हम यहाँ एक विद्यालय और छात्रालय बनवायँगे।"
आपने वहीं चौमासा करनेका विचार किया। मगर मूरतसे सेठ नगीन कपूरचंद जौहरीकी धर्म पत्नी अपने पुत्र और मुनीमको साथमें लेकर मूरत पधारनेकी विनती करने आई हुई थीं; क्योंकि माघ महीनेमें उद्यापन कर ना चाहती थीं। इस लिए उन्होंने अधिक आग्रहपूर्वक प्रार्थना की कि, आप उद्यापन होते ही वापिस यहाँ पधार जायँ और यहाँके लोगोकी मनोकामना पूरी करें । हो सका तो हम लोग चौमासेमें अन्यथा पर्युषणोंमें तो अवश्यमेव यहीं आयगे । संभव है और भी भाई बहिन आवें। __बगवाड़ेके लोगोंने सोचा कि, ऐसे ऐसे सेठ अगर यहाँ
आकर रहेंगे या दर्शनार्थ आयेंगे तो हमें भी कुछ लाभ हुए बिना न रहेगा। इस लिए उन्होंने भी विनती की,-"आप आनंदसे मुरत पधारें। हम भी अपने इलाकेके सभी मुखिया भाइयोंको जमा कर सलाह कर लेते हैं । फिर आपके पास
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