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________________ आदर्श-जीवन । स्टेशन पर पहुँचकर आपने अहमदाबादका टिकिट लिया। दिनभर प्रासुक पानी न मिलनेसे जी बड़ा बेचैन रहा। जीवनमें आजका दिन सबसे पहला था कि, आपको परिसहका अनुभवजन्य ज्ञान हुआ; आजतक साधुओंके परिसह सहनकी केवल बातें पढ़ा और सुना करते थे; आज आपको विदित हुआ कि, परिसह कैसे सहा जाता है और मनको अधिकारमें रखनेके लिए कितनी कठिनताका सामना करना पड़ता है। - ... शामको अहमदाबाद पहुँचे । प्यास बुझानेके लिए आप सीधे सेठ भूराभाईके घर पहुँचे । इनका घर आपने पहली बार आये थे तब देख रक्खा था । इनके घर हमेशा प्रासुक पानी रहा करता था और उस दिन तो खास अष्टमी थी। जाते ही पानी मिल गया । पानी पी कर मन शान्त हुआ । वहाँ कुछ. क्षण बातचीत कर आप मुनि महाराजके पास गये । स्वर्गीय १००८ श्री आत्मारामजी महाराज अपनी शिष्यमंडली सहित प्रतिक्रमण करनेकी तैयारी कर रहे थे। आपने जाकर वंदना की। महाराज बोले:-" ले * भाई छगन आ गया । वैराग्यमें पूरा रंग गया है। धर्मकी इसके कारण बहुत * मुनि श्रीहर्षविजयजी महाराजको सब साधु भाईजी महाराज कहा करते थे; इस लिए सूरिजी महाराज भी आपको कई बार भाई ही कहा करते थे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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