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________________ - आदर्श जीवन । १६७ mmmmmmmmmmmmm. और श्रीअरनाथ स्वामीका-तनि तीर्थकरोंके-च्यवन, गर्भ, दीक्षा और केवल ऐसे-चार कल्याणक, प्रत्येकके, कुल मिलाकर बारह कल्याणक हुए हैं। प्रथम तर्थिकर श्रीआदीश्वर भगवानको भी, वर्षांतपका पारणा, श्रेयांसकुमारने वहीं करवायाः था। उस दिन वैशाख सुदी ३ का दिन था; उस दिनके दानसे श्रेयांस कुमारको अक्षय फलकी प्राप्ति हुई थी । इसी लिए उस तिथिका नाम अक्षय तृतीया या आखा तीज हो गया। अतः यदि आपकी आज्ञा और इच्छा हो तो आप यात्राके लिए पधारें, संघकी भी आपके साथ यात्रा हो जायगी।" ___ आपने फर्माया:-" इसके सिवा दूसरी कौनसी बात प्रसन्नताकी होगी ? फाल्गुन चौमासा निकट है वह वहीं किया जायगा।" श्रावक बोले:-" हम भी अनेक पापके कामोंसे बच जायँगे । क्योंकि होलियोंके दिन तीर्थ स्थानपर बीतेंगे।" . __ तैयारी हो गई। हमारे चरित्रनायकने अपनी साधुमंडली. सहित एक दिन पहले ही विहार किया। दूसरे दिन संघ भी रवाना हुआ और दिल्लीसे ग्यारह माइल पर गाजियाबादमें. आपसे जा मिला । दूसरा पड़ाव चौदह माइल पर बेगमा. बादमें, और तीसरा पड़ाव तेरह माइल पर मेरठमें हुआ । संघ जिस धर्म शालामें ठहरा वह धर्मशाला पं० गंगारामजी रईस मेरठकी धर्मपत्नी बीबी ( श्रीमती ) सुंदरकौरने सं० १९६२ में बनवाई है। वहाँ यात्रियोंके लिए सब तरहका Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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