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________________ १६४ आदर्श जीवन। aanoon AAMANANAMANANAR/No.11%AnnaAARRA.. उन्होंने उत्तर दिया:-" नहीं जी हम कोई उपदेश नहीं सुनना चाहते।" _लालाजी-" जैसी तुम्हारी इच्छा " कहकर आपके पास चले गये । स्थानकवासी जुगलकिशोरको पुलिसकी गाड़ीमें बिठाकर कोर्टमें ले गये। ___ कोर्टने तहकीकातके बाद इस सबूत पर दावा खारिज करदिया कि, जुगलकिशोर नाबालिग नहीं है । इस लिए अपनी मर्जीके माफिक काम करनेका उसे हक है । बादमें बड़ी धूमधामके साथ उन्हें सं. १९६४ मगसिर सुदी ११ रविवार, ता. १९-१-१९०८ ईस्वीके दिन दीक्षा दी गई घासीरामजीका नाम विज्ञानविजयजी रक्खा गया और आपके वे शिष्य हुए । जुगलरामका नाम विबुधविजयजी कायम हुआ और विमलविजयजीके वे शिष्य हुए। दीक्षामहोत्सवके समय ब्राह्मण, क्षत्री, वैश्य, आदि सभी मौजूद थे। दीक्षाके आनंदोत्सवमें पं. हीरालालजी शर्माकी सेवाओंसे प्रसन्न होकर उन्हें एक सोनेके कड़ोंकी जोड़ी इनाममें दी गई थी। इस विषयका सविस्तर वृत्तान्त उत्तरार्द्ध में घासीराम जुगलराम प्रकरण' के हैडिंगसे दिया है। उसी दिन आपने ' दीक्षा और शिक्षा' इस विषय पर एक बड़ा ही प्रभावशाली व्याख्यान दिया था। अमृतसरसे विहार करके आप जंडियाला, जालंधर, लुधियाना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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