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आदर्श जीवन।
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आहोजी शांति प्रभु सुखकारी । सुखकारी सुखकारी भवसागर पार उतारी । शांति० (अंचली)
आहोजी शहर समानामें, समानामें समानामें जिनमंदिर बनाया भारो ॥ शां० ॥ १ ॥
आहोजी सिद्धगिरि तीरथसे । तीरथसे तीरथसे प्रभु मूरति मोहनगारी ॥ शां० ॥ २ ॥
आहोजी भेजी भावोंसे । भावोंसे भावोंसे हंसविजय मुनि उपकारी ॥ शां० ॥ ३ ॥
आहोजी परव पजोसनमें । पजोसनमें पजोसनमें होया महोच्छव शोभाकारी ॥ शां० ॥ ४॥
आहोजी उन्नीसौ इकसठमें ।। इकसठमें इकसठमें वदि भादों चौदस गुरुवारी ॥ शां० ॥ ५ ॥
आहोजी मूरति सुखदाई । सुखदाई सुखदाई फिरी इंदर धजा इकसारी॥ शां० ॥ ६ ॥
आहोजी मुद्रा मनहारी । मनहारी मनहारी नित्य सेवा करें नरनारी ॥ शां० ॥ ७ ॥
आहोजी प्रभु जयकारी। जयकारी जयकारी जाऊँ बार बार बलिहारी ॥ शां० ॥ ८ ॥
___ आहोजी पूजा गुणकारी । गुणकारी गुणकारी दुख दोहग दूर निवारी ॥ शां० ॥९॥
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