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________________ आदर्श जीवन । १४७ नेमें हमारे गुरुओंका चौमासा है। वहाँ हम जुलूस निकालना चाहते हैं। मगर वहाँके स्थानकवासी भाई हमारे धर्मकाममें विघ्न डालनेके लिए हर तरहकी कोशिश करते नजर आते हैं, सो इसके लिए उनको हिदायत होनी चाहिए। हमको वे लोग फिसाद करेंगे ऐसा डर है; इस लिये आप वहाँ खास पुलिसका, इन्तजाम करनेके लिए, भेज दीजिए, ताके वे हमारे काममें किसी तरहका खलल न डाल सकें।" बहुत कुछ सोच विचारके बाद साहबने जुलूस निकालनेका .. इनामत और पटियाले अपने सुप्रिण्टेण्डेण्टके पास हुक्म भेज दिया कि, वे सशस्त्र पुलिसकी चार गार्द सामाने भेज दें और जहाँ कोई थोड़ीसी भी गड़बड़ करे फौरन उसको कैद कर लें। इस कारणसे भी जुलूस आनंदपूर्वक निकाला गया। विक्रम संवत् १९६१ भादवा वदी १४ को महेन्द्रध्वज निकला, रथयात्रा हुई और कल्पमूत्रकी सवारी निकली। साथमें, कोटला, पट्टी, होशियारपुर, सामाना, गुजराँवाला और :अंबालाकी जैनभजन मंडलियाँ थीं। इतना ही क्यों सामानेके सनातनी भाई भी अपनी भजनमंडली और पूरे ठाठ सहित जुलूसके साथमें थे। - सामानेके श्रीआत्मानंद जैनसभाके सभासदोंकी विनतीसे हमारे चरित्रनायकने लच्छीकी चालमें उस समय एक भजन बनाया था, वह यहाँ दिया जाता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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