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________________ - आदर्श जीवन । www.rane कर प्रश्न किया:--" क्या सर्दार हीरासिंह आपहीका नाम है ?" __सिक्ख लोग साधुओंका बहुत सम्मान करते हैं। सर्दार उसी अपने जातीय नम्र भावसे हाथ जोड़कर बोला:-"हाँ महात्मा ! इस दासहीको हीरासिंह कहते हैं।" आपने कहा:--" सर्दारजी ! हमने आपके बलकी बहुत तारीफ सुनी है।" हीरासिंहने नम्रताके साथ कहा:" यह संत पुरुषोंकी महरबानीका फल है। " आप वहाँसे विहार करते हुए पट्टी पहुँचे औरसं० १९५५ का बारहवाँ चौमासा आपका पट्टीमें हुआ। चौमासा बड़े आनंदसे समाप्त हुआ। इस चौमासेमें आपके साथ बाबाजी महाराज श्रीकुशलविजयजी, श्रीहीरविजयजी महाराज, श्रीसुमतिविजयजी महाराज, श्रीशुभविजयजी तपस्वी, श्रीलब्धिविजयजी महाराज, श्रीविवेकविजयजी महाराज और श्रीललितविजयजी महाराज ऐसे सात साधु थे। पं० उत्तमचंदजी तथा पं० अमीचंदजीका सुयोग मिलनेस तत्वच का बड़ा आनंद रहा। (सं० १९५६ से सं० १९६० तक) चौमासा समाप्त होने पर आप पट्टीसे विहार कर जीरे पधारे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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