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________________ ११८ आदर्श जीवन। याँ भी व्याख्यानमें आया करते हैं । यद्यपि ये सभी अग्रवाल दिगंबर जैन हैं तथापि स्वर्गवासी गुरुमहाराजको जैनधर्मके प्रभावक पुरुष समझते हैं। इसलिए इनका हार्दिक प्रेम है । आहार पानीकी खास कोई तकलीफ नहीं है। वैसे यह तो आप जानते ही हैं कि, विना कष्ट सहे कभी नवीन क्षेत्र तैयार नहीं हो सकता है ?" समयकी बलिहारी है ! आपका बोयाहुआ बीज फल लाया। लाहोरमें आज अनेक घर हैं । इतना ही क्यों लाहोरवालोंने अपने यहाँ गत वर्षकी प्रतिष्ठा कराने और हमारे चरित्रनायकको आचार्य पद प्रदान करनेका सौभाग्य भी प्राप्त किया है । सविस्तर वर्णन आगे होगा। ___ लाहोरसे विहार कर कसूर पधारे । वहाँ एक मास तक रहे । फिर कसूरसे आस पासके लोगोंको धर्मामृत पिलाते हुए आपने पट्टीकी तरफ़ विहार किया। ___ कसूरसे पट्टी जाते रास्तेमें 'चठयाँ वाला' गाँव आता है । वहाँ हीरासिंह नामक सिक्ख सर्दार रहता है। वह बड़ा ही बली है। २७ मन की मुद्रें फेरा करता है। आपने यह बात सुनी थी। आप एक दिन सायंकाल ही अपने शिष्य ललितांवजयजीके साथ जंगलसे उसी तरफसे लौटे जिसतरफ़ वह सर्दार रहता है। एक मकानके बाहरकी तरफ लोहेकी दो मुद्रें पड़ी थीं । उसके पास एक हृष्ट पुष्ट जवान बैठा था । आपने अनुमान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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