________________
आदर्श जीवन।
११३
सं० १९२४ के वैशाख सुदी ८ के दिन धूमधामसे दीक्षा दी । नाम 'ललितविजयजी' रक्खा। __ रामनगरके अंदर जिन सर्दार कर्तारसिंहजीका वर्णन आया है, वे भी सनखतरा, सियालकोट आदि होते हुए
और अनेक कष्ट झेलते हुए आपके दर्शन करने यहाँ आपहुँचे। ___ आपने सं० १९५४ का ग्यारहवाँ चौमासा नारोवालमें ही किया था। इस चौमासेमें आपने प्रातःस्मरणीय, न्यायांभोनिधि १००८श्रीमद्विजयानंदमूरिजी महाराजका जीवनचरित्र लिखकर तैयार किया था। यहाँ व्याख्यानमें आप श्रीउत्तराध्ययन सूत्र और पद्मचरित्र ( जैनरामायण ) बाँचते थे। _इस चौमासेमें आपके साथ श्रीकुशलविजयजी-बाबाजी महाराज, श्रीसुमतिविजयजी महाराज, श्रीविवेकविजयजी महाराज और श्रीललितविजयजी महाराज थे।। __ श्रीहीरविजयजी महाराज, श्रीलब्धिविजयजी महाराज और श्रीशुभविजयजी तपस्वीजी इन तीन मुनिराजोंका चौमासा सनखतरेमें हुआ था । नारोवाल और सनखतरेके बीचमें छःसात कोसका अन्तर है।
चौमासा समाप्त होने पर श्रीहीरविजयजी महाराज आदि नारोवाल आ मिले। नारोवालसे सभीने एक साथ विहार किया। आप अमृतसर पधारे । यहाँ अंबालानिवासी लाला गंगारामजी, होशियारपुरनिवासी लाला गुज्जरमलजी तथा लालानत्थूमलजी, अमृतसरनिवासी लाला पन्नालालजी जौहरी
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org