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आदर्श जीवन ।
और लाला फग्गूमलजी महाराजमलजी सराफ़के साथ सलाह कर हमारे चरित्रनायकको स्वर्गीय आचार्यश्रीकी गद्दीपर बिठानेका यानी आपको आचार्य पद प्रदान करनेका प्रयत्न करने लगे। लाला गंगारामजीने यह स्वीकार किया कि, वे जाकर सब साधुओंसे आपको आचार्यपद देनेकी स्वीकारता ले आयँगे । जब हमारे चरित्रनायकको इस बातकी खबर लगी तब आपने स्पष्ट शब्दोंमें कह दिया कि,-"आप वृथा ही इस बातका प्रयत्न करते हैं। मैं इस बातको कदापि स्वीकार न करूँगा।"
लाला गंगारामजी आदि बोले:-" आप इस बातको भले स्वीकार न करें; मगर हम तो यह देख लेंगे कि स्वर्गीय गुरु महाराजकी आज्ञाको सभी मानते हैं या नहीं।" फिर वे अपने स्थानपर चले गये।
आप अमृतसरसे श्रीबाबाजी महाराज आदिके साथ विहार करके जांडियालागुरुको पधारे । यहाँ लुधियानानिवासी लालाहरदयाल आदि जोधावालोंकी भोजाई और अंबालानिवासी लाला नानकचंद भाबूकी पुत्रीकी दीक्षा बड़ी धूमधाम से हुई। नाम देवश्रीजी रक्खा गया । __वहाँसे. विहार करते हुए कई दिनोंके बाद आप पट्टी पधारे । वहाँके श्रावकोंके अत्यंत आग्रहसे आपने पट्टीहीमें चौमासा करना स्थिर किया । चौमासेमें कई महीने बाकी थे इसलिए आप श्रीबाबाजी महाराज, श्रीशुभविजयजी तपस्वी,
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