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आदर्श जीवन
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तक कोई उसकी शंकाएँ न मिटा सका था। आपके पास भी वह आया। एक घंटे तक आपके साथ बात चीत करके वह संतुष्ट हुआ। उसने हाथ जोड़ भाक्ति गद्गद कण्ठसे कहा:--" कृपानाथ ! आज मैं शंकाओंके भूतसे रिहा हो गया; मुझे बड़ी शान्ति मिली"
पपनाखासे आप विहार करते हुए किला दीदारसिंह पहुंचे। यहाँ लाला मइयादासजीका अच्छा प्रभाव था आपके लिहाजसे कई लोग व्याख्यान सुनने आते। जो एक बार भी आपकी मधुर वाणीका स्वाद चखता वह दूसरी दफा चखनेके लिए सौ काम छोड़कर दौड़ा आता। एक (सौवर्णिक) सर्दार-जो कई गाँवोंके मालिक और महाराजा रणजीतसिंहजीके प्रपौत्र सरदार इच्छरासिंहजी गुजराँवालोंके मित्र थे आपकी भक्ति में ऐसे लीन हुए कि जबतक रोजमर्रा वे आपके दर्शन न कर लेते और आपके मुखारविंदसे धर्मोपदेश न सुन लेते तबतक उनको चैन न पड़ता।
फिर आप अकालगढ़ होते हुए रामनगर पहुँचे। वहाँ जिवने श्रावक थे सभी स्वर्गीय बूटेरायजी महाराजके बनाये हुए थे। उन्होंने आपकी बड़ी सेवा की। वे सभी पुरानी बातोंका और स्मरणोंका वर्णन करते। उन्हें सुन सुनकर आप प्रसन्न होते। - वहाँ श्रावकोंकी अपेक्षा सर्वसाधारण लोग प्रायः विशेष संख्यामें आया करते थे। लाला रामेशाह वहाँके बड़े रईसोमसे
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