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आदर्श जीवन ।
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उस कामको किया और गुरु महाराजके नामके फर्राते हुए झंडेको वैसा ही कायम रक्खा उसको सारा जैन समाज जानता है। पंजाब संघका रोम रोम उसके लिए हमारे चरित्रनायकका कृतज्ञ है।
उस चौमासेमें आपके साथ वृद्ध साधु १०८ श्रीकुशलविजयजी महाराज,१०८श्रीचंदनविजयजी महाराज,१०८श्रीहीरविजयजी महाराज, १०८ श्रीसुमतिविजयजी महाराज, १०८ श्रीशुभविजयजी तपस्वी, १०८ श्रीलब्धिविजयजी महाराज,
और १०८ श्रीरामविजयजी महाराज । ऐसे सात मुनिराज थे। __ व्याख्यान सभामै व्याख्यान बाँचनेका आपका यह पहला ही अवसर था । व्याख्यानमें आप श्रोताओंकी रुचि और मुनिराजोंकी इच्छानुसार श्रीस्थानांगसूत्र और सम्यक्त्व सप्ततिका वाँचते थे। श्रीआचार्य महाराज विरचित तत्वनिर्णय प्रासादका प्रस्तावनादि अवशेष कार्य भी आपने यहीं पर समाप्त किया था।
गुजराँवालेका चौमासा समाप्त होनेपर आपने वहाँसे, श्रीस्तम्भन पार्श्वनाथ और श्रीचिन्तामाण पार्श्वनाथकी यात्राके लिए रामनगरकी ओर विहार किया।
आप पपनाखा पधारे । वहाँ लाला गणेशदास और लाला जवंदामलने बहुत धर्मलाभ उठाया । वहाँ एक स्कूलमास्टर था वह जितने साधु या पंडित आते उन सबके पास अपनी शंकाओंका समाधान कराने जाता; मगर अब
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