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( ३७ ) भब उन्हें पत्र लिखा तो उनको शांति हुई। पत्र में आपने अन्य बातों के साथ साथ यह भी लिखा था-"यद्यपि ये सभी अग्रवाल दिगम्बर जैन हैं किन्तु स्वर्गवासी गुरु महाराज को जैन धर्म का प्रभाविक पुरुष मानते हैं। अतः हमें हार्दिक खुशी है। आहार पानी की खास तकलीफ नहीं है। वैसे तो आप जानते ही हैं बिना कष्ट सहे नवीन क्षेत्र तैयार नहीं हो सकता?" __पंजाब में विहार संबन्धी कष्ट सहने का ध्येय इस पत्र से ही स्पष्ट हो जाता है। ठीक है, महात्माओं का जीवन परोपकार के लिये ही तो है। ___ आपका उद्देश्य क्या है, और उसे पूर्ण करने में आप किस प्रकार प्रयत्नशील रहे इसका दिग्दर्शन आपको हो चुका है। स्वर्गीय आचार्य देव के स्वर्गस्थ होने पर उसी साल आपने शिक्षा प्रचार का उद्देश्य आगे रक्खा। वर्त्तमान काल में पाश्चात्य शिक्षा की चकाचौंध में पड़े हुए लोगों की रक्षार्थ, समाज को उन्मार्गगामी होने से बचाने के लिए और साथ ही दूसरी जातियों की समानता में खड़ा रखने के लिए शिक्षा की बड़ी आवश्यक्ता समझी गई।
"श्री आत्मानन्द जैन पाठशाला, पंजाब के लिए सं० १९५३ में ही प्रयत्न प्रारंभ हो गया था। परन्तु सारा क्षेत्र तैयार करते काफी समय लगता है। जनमत को
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