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( ३६ ) आपने सुना और हँस पड़े। बोले, "भोली बहन मेरे पास धरा ही क्या है जो वह ले लेगा ? तूं निश्चिन्त रह ।" - साथ के दूसरे गृहस्थों ने हिम्मत की और कहा, "चाहे जो हो, आज इनसे दो दो हाथ ज़रूर होंगे।" आपने उन्हें भी शान्त किया। __शाम तक दूसरे गांव पहुंचना था, अतः आप ने वहां से तीसरे पहर विहार कर दिया। - पंजाब का विहार इस प्रकार की सैंकड़ों कहानियों से भरा है। फिर भी आप जहां कहीं पधारे वहीं शांति हुई। आपका सर्वत्र सन्मान हुआ और यश का डंका बजा। हज़ारों अजैन भी आपके पक्के भक्त और शिष्य होगए। जिनमें सर्व साधारण से लेकर अच्छे २ विद्वान् दुकानदार तथा श्रीमन्त सज्जन थे। ऐसे कई अवसर आये कि जब आप उन स्थानों पर जहाँ मूर्ति-पूजक पुजेरे श्रावकों के एक दो ही मकान थे; पधारे और आपको तीन चार साधुओं के साथ प्रेमवश कई २ दिन तक ठहरना पड़ता था। ___लाहौर छावनी की बात है। वहां केवल दो एक घर ही मूर्ति-पूजक जैनों के थे। लोगों के प्रेम और भक्ति के कारण आपको एक महीना भर वहीं ठहरना पड़ा। दूसरे वृद्ध साधु बड़ी चिन्ता में थे, किन्तु आपने
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