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साथ जीवनलीला समाप्त की। आचार्य देव का,वियोग आपके लिए वज्रपात सम था। सारी छत्रछाया हठ जाने या समुद्र में एक बड़े सहायक के बिछुड़ जाने जैसा दुःख आपको था, किन्तु उसके साथ ही उत्तरदायित्व का बझ भारी बोझा भी सिर पर आ गया था। वह था स्वर्गीय
आचार्य देव का वचन पालन । ... जब कभी पंजाबी लोग पूज्य पाद आचार्य देव से प्रार्थना किया करते कि गुरुदेव आप शतायु हो! किन्तु फिर भी जिसका जन्म है उसका अवसान अवश्यम्भावी है तो आपश्रीजी के पीछे हमारा कौन ? उस वक्त पूज्यपाद आचार्य महाराज यही फरमाया करते "तुम चिन्ता मत करो, 'वल्लभ' तुम्हारी संभाल लेगा।"
... विहार के कुछ संस्मरण । पंजाब में जागृति होगई थी। श्वेताम्बर संप्रदाय के घर भी थे, फिर भी हवा कुछ साफ नहीं थी। अब भी स्थानकवासियों की ओर से बार२ धार्मिक आक्रमण होते थे। शास्त्रार्थ तक की नौबतें पहुँचती थीं पंजाब की लाज तो अब आपके ही हाथों थी। आपने उसे भली प्रकार निभाया बल्कि गुरु आज्ञा पालन में
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