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________________ ( १४३ ) मिल सके । बंबई से डॉक्टर शरॉफ ने आकर श्री विजय ललितसूरिजी महाराज की आँख का मोतिया निकाला | बई से श्री आदीश्वर भगवान् के मंदिर की प्रतिष्ठा के लिये पोरवाल संघ का डेप्युटेशन विनती करने आया परंतु पंजाब में जाने की जल्दी के कारण विनती स्वीकार न हो सकी । २७ अक्टूबर को सायंकाल सन्मित्र मुनि श्री कर्पूरविजयजी के स्वर्गवास का पालीताणा से तार आया, विधि पूर्वक देव वंदन किया। इस चातुर्मास में बड़ौदा, पट्टी और होशियारपुर ( पंजाब ) आदि से भी बहुत से भाई दर्शनार्थ खंभात जाते रहे । कार्त्तिक सुदि १ गुरुवार को श्री गौतमस्वामी के मंदिर में श्री सम्मेद शिखर तीर्थ के पट्ट का उद्घाटन आपके हाथ से हुआ । चतुर्विध संघ के साथ धर्मशाला और भंपोल दोनों उपाश्रयों के आचार्य और साधु महा- राज उपस्थित थे । जामनगर के सेठ पोपटलाल धारसी आप से श्री सिद्धाचलजी के संघ में पधारने के लिये विनंति करने आये परन्तु आप को पंजाब की तरफ जाने की जल्दी थी । अतः आप वहां न जा सके। कार्त्तिक सुदि १५ के दिन चतुर्विध संघ के साथ धर्मशाला से मांडवी की पोल के उपाश्रय में पधारे। वहां श्री सिद्धाचलजी के पट्ट के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002670
Book TitleKalikal Kalpataru Vijay Vallabhsuriji ka Sankshipta Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur
PublisherParshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur
Publication Year1938
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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