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(१४२) की धर्मशाला में आया । १३ सितम्बर को जैनशाला का वरघोड़ा निकला। अहमदाबाद वाले हरिभाई और श्रीमाली आपस में समाधान के लिये प्रयत्न करने लगे परन्तु प्रयास निष्फल हुआ। भंपोल के उपाश्रय का वरघोड़ा १४ सितंबर को निकला। हमारे चरित्रनायक भी उसमें शामिल हुये। भंपोल वालों की जीमनवार भी हुई। भंपोल वालों को जैनशाला से रथ न मिल सका । अतः उन्होंने अहमदाबाद से सेठ आनंदजी कल्याणजी का रथ मंगवाया।
भाद्रपद सुदि ११ के शुभ दिवस को अकबर सम्राट को प्रतिबोध देने वाले जगद्गुरु श्री विजयहीरमूरिजी महाराज की जयन्ती मनाई गई। मांडवी की पोल के श्रीमंदिरजी से पार्श्वनाथ भगवान् की श्यामवर्ण की मूर्ति आभूषणों सहित पट्टी (जि० लाहौर) भेजी गई और श्री नवपल्लव पार्श्वनाथ के मंदिर से श्री शान्तिनाथ स्वामी की धातु की प्रतिमा अंबाला शहर को रथयात्रा उत्सव के लिये भेजी गई। . इस चातुर्मास में भोयरापाड़ा के जीर्ण भंडार की लिस्ट तैयार की गई और उन पुस्तकों की रक्षा का उपाय कराया गया। साथ ही यह व्यवस्था भी कराई गई कि हर साल ज्ञान पंचमी के दिन भंडार खोला जाया करे जिससे जनता को इस भंडार के दर्शनों का लाभ
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