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की जन्म-शताब्दि का महोत्सव करके, उनके गुणों को याद कर, उनके उपकार को स्मरण करना चाहिये । आपने श्री प्रवर्तकजी महाराज और श्री हंसविजयजी.महाराज से सलाह की। उन्होंने सहज ही में इस उच्च विचार की अनुमोदना की। ... यहां से आप चातुर्मास के लिये पालणपुर पधारे और संवत् १९८६ का चातुर्मास वहीं हुआ। इस चातुर्मास में उपधान आदि अनेक धर्म काये हुये। पालणपुर के गुणअाही नवाब साहिब मेजर सर तालेमुहम्मद खान भी दो चार बार उपाश्रय में श्री आचार्य महाराज के दर्शनार्थ पधारे और बात चीत करके अति प्रसन्न हुये।
इन दिनों श्री आचार्य महाराज के बायें नेत्र से पानी निकलने लग गया था, जिसके कारण आँख की ज्योति कम हो जाने की संभावना प्रतीत होती थी। बंबई के श्रावक प्रसिद्ध डाक्टर शरॉफ बंबई से आये और देखकर आपरेशन की सम्मति दी। आपरेशन के लिये बंबई में ही मुगमता हो सकती थी। अतः आपने बंबई जाने का संकल्प किया। यहां तक के लिये डाक्टर शरॉफ ने दवाई आदि का प्रबन्ध कर दिया। ... चौमासे के बाद श्री समुद्रविजयजी तथा चरणविजयजी आदि के साथ पालीताणा जाते हुये, रास्ते में, आपको
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