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( ११२ ) तत्पर हुए हैं सो आप इसको स्वीकार करके हमारी हार्दिक अभिलाषा अवश्य पूरी करेंगे और हमारे उल्लास की वृद्धि करेंगे, ऐसी आशा है।
श्रीसंघ की आज्ञा से, विनीत चरणोपासक सेवकगण श्री बामणवाड़जी तीर्थ । बभतमल चतराजी, दलोचंद वीरचंद, (सिरोही राज्य ), मिती डावाजी देवीचंद, रणछोड़ भाई रायवैशाख बदी ३ गुरुवार चन्द्र मोतीचंद. गलाबचंद ढड़ा सं० १९९०, ता. १३
श्रीसंघ के सेवक अप्रेल सन् १९३३ ईस्वी। , . इसी अवसर पर योगीराज श्री विजयशान्तिमूरिजी को अनंत जीवदया प्रतिपालक. नर नरेश प्रतिबोधक पदवी दो गई और पंन्यासजी महाराज श्री ललितविजयजो को मरुधर देशोद्धारक और प्रखर शिक्षा प्रचारक की पदवी दी गई। एवं इन महात्माओं को भी मान पत्र दिये गये।
बामणवाड़ महोत्सव के पश्चात् श्री आबूजी को यात्रा करके आचार्य श्री पालणपुर पधारे। वहां से पाटण गये और प्रवर्तकजी महाराज श्री कान्तिविजयजी और शान्त मूर्ति श्री हंसविजयजी महाराज से मिले। इस वर्ष का गुरुदेव का जयन्तो महोत्सव यहीं मनाया गया। परमोपकारी श्रीमद् विजयानंदमूरि महाराज का जन्म हुये ७० साल होने वाले थे। गुरु भक्ति से प्रेरित हुये आपके मन में यह विचार आया कि स्वर्गवासी श्री गुरुदेव
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