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और जैनेतर सभी लोग आया करते थे। दीवान साहब तथा अन्य अधिकारी वर्ग भी आते थे । पर्युषणों में भी ऐसी रौनक न हुई थी । प्रभु पूजा भी पढ़ाई गई। यहां से आप सैलाना गये | व्याख्यान में सैलाना के दीवान साहिब और अन्य अहलकार वर्ग भी आये और उनके विशेष आग्रह से एक दिन अधिक ठहरना पड़ा। यहां पर प्रतापगढ़ से श्रीमान् सेठ लक्ष्मीचंदजी घीया विनंति करने के लिये आये परन्तु आप उनकी विनंति को स्वीकार न कर सके ।
यह से आप बांसवाड़ा गये । इस ग्राम के नाम से ऐसा प्रतीत होता है कि यहां किसी समय में बांस ही बांस होते होंगे परन्तु अब तो वहां चारों ओर आम ही के पेड़ दृष्टि में आते हैं। यहां से आप आसपुर पधारे। उधर गुजरात से विहार कर श्री आबू तीर्थ की यात्रा करके विद्वान् मुनि श्री पुण्यविजयजी, श्री प्रभाविजयजी, श्री रमणीकविजयजी आपको मिले। पं० महेन्द्रविमलजी तथा पुण्यविमलजी मुनिराज भी यहां मिले। ऐसे विद्वान् साधु मुनि महाराजों के समुदाय के पधारने से आसपुर की बहुत वर्षों की आशा पूर्ण हुई ।
बंकोड़ा होते हुए आप
आसपुर से विहार कर बड़ोदा पहुँचे । यह ग्राम अब उन्नत दशा में नहीं है। प्रायः भग्नावशेष सा है । श्री केसरियानाथजी की प्रभाविक
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