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( ९९ ) समय में राजाओं ने अपने छिपने के लिये पहाड़ों में गुप्त जगह बनाई होंगी। वह कालान्तर में अन्य उपयोगों में ले ली गई होवें और राजाओं की सहायता से तदनुरूप बनाई गई होवें तो ताज्जुब नहीं। परन्त हिन्दुस्तान की स्थापत्य कला का नमूना तो ज़रूर है। ___कारला से छठ को विहार करके खटकाला आये। यहां एक दो बातें खास लिखने की रह गई सो लिख कर आगे का समाचार लिखा जायगा। लानोली में मुंबई से चीमन को बुलाया गया था और चारित्र पूजा पढ़ाई गईथी।
ओलवण में टाटा तालाब है जहां तीन तरफ पहाड़ और एक तरफ लगभग एक मील की दीवार बना कर पानी इकट्ठा किया है जहां से नहर के जरिये पानी आगे को बढ़ाकर छः विभागों में बाँट कर नल के जरिये खयोली में पहुँचाया जाता है। देखने योग्य दृश्य है ।
ओलवण में ही एक योगाभ्यास सीखने की संस्था है जिसके अध्यक्ष का परिश्रम श्लाघनीय एवं संस्था का कार्य देखने योग्य बल्कि अनुकरणीय है। खटकाला में भी ओलवण से प्रभु-मूर्ति लाये थे। कई गाँवों के श्रावक इकठे हुये थे। पूजा और स्वामी-वत्सल हुआ था।
खटकाला से लगभग ५ मील एक तरफ कोने में पहाड़ के साथ लगता टाकवा गाँव है। इस गाँव में कभी किसी
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