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धूम धाम के साथ
आपका बंबई शहनाया गया।
(९५) पर श्रीमहावीर जैन विद्यालय के विशाल भवन में पधारे। तीन दिन बाद ज्येष्ट सुदि ८ को श्री गुरु महाराज श्री आत्मारामजी का जयन्ती उत्सव होने वाला था। अतः आप विद्यालय में ही ठहरे। वहीं बड़ी धूम धाम के साथ जयन्ती महोत्सव मनाया गया। ज्येष्ठ सुदि १० को आपका बंबई शहर में बड़ी धूम-धाम के साथ प्रवेश हुआ। पंजाब से भी भजन मंडलियां आई थीं। श्री आत्मानन्द जैन गुरुकुल के कार्यकर्ता भी उपस्थित हुये थे । बंबई जैसे रमणोक शहर में आपका प्रवेश महोत्सव निराली शान वाला था।
बंबई के श्रीमंतों ने अपने अद्वितीय उत्साह का परिचय देते हुए अधिक से अधिक रौनक की। संवत् १९८६ का चातुर्मास भी वहीं हुआ। इस चातुर्मास में भी श्री महावीर विद्यालय बंबई और श्री आत्मानंद जैन गुरुकुल, गुजरांवाला को अच्छी सहायता मिली। चौमासे के बाद आपने पूना की ओर विहार किया। यह प्रदेश आपके लिये नया था। परन्तु उधर के संघ की विनंति बड़ी प्रबल थी। रास्ते में हजारों नर नारी 'ठाणा' में दर्शनार्थ आये। इधर बंबई से पूना जाते हुये रास्ते में आप श्रीजी के पुण्य प्रताप से जो जो उत्तम कार्य हुये उनका बोधक श्री आचार्य महाराज का ही एक पत्र वाचकों की तृप्ति के लिये नीचे दिया
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