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( ९३ ) धूम धाम थी। पालणपुर से विहार कर समुद्रविजयजी, सागरविजयजी आदि मुनिराज भी आप की सेवा में अहमदाबाद आगये। कुछ दिन विश्राम करके बड़ौदा, झगड़िया आदि स्थानों में विचरते और धर्मोपदेश देते हुये आप करचेलिया पधारे। माघ सुदी १३ को श्री जिन मंदिर की प्रतिष्ठा बड़ी धूम धाम से हुई और करचेलिया श्रीसंघ. की वर्षों की आशा सफल हुई।
आचार्य पहाराज ने वहां से बुहारी की ओर प्रस्थान किया। बंबई श्रीसंघ के ४०, ५० मुखिया श्रावक बुहारी में आपकी सेवा में उपस्थित हुए और चौमासा बंबई में करने के लिये प्रार्थना की। आपने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और विहार करके करचेलिया वापिस पधारे । उस वक्त ३०, ४० नवसारी के श्रावकगण विनंति के लिये आये और खूब जोर दिया। आखिर उनकी विनंति को मान देकर आपने करचेलिया से विहार किया और क्रमशः आप नोगाम में पधारे।
इससे पहले टांकल से ही आपने श्रीमुनि समुद्रविजयजी, श्री चरणविजयजी और श्री विकासविजयजी को बंबई की ओर भेज दिया था। आप नवसारी पधारे। मार्ग में सिसोदरा गाँव में कुछ सूरत के भाई विनंति करने आये। विनती स्वीकार हुई और आप नवसारी पधारे।
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