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( ९२ ) भी सपरिवार पाटण में पधारे। आपका प्रवेश भी श्री आचार्य महाराज के साथ ही हुआ। पालणपुर वालों की चातुर्मास के लिये विनंति होरही थी। उनकी प्रार्थना को मान देते हुये आपने वहां वृद्ध मुनिराज पन्यासजो श्री सुंदरविजयजी आदि ६ मुनिराजों को चौमासा के लिए भेजा। और आपका चातुर्मास १०८ श्री प्रवर्तकजी महाराज श्री कांतिविजयजी तथा १०८ श्रीहंसविजयजी महाराज के साथ ही पाटण में हुआ। । सं० १९८५ में आपके पाटण के चातुर्मास में करचेलिया ग्राम से मुख्य श्रावक सेठ दुल्लभजी भाई आदि आये और प्रार्थना की कि आप वहां अवश्य पधारने की कृपा करें। करचेलिया सूरत जिले में नवसारी के पास एक ग्राम है। वहां आचार्य महाराज के ही उपदेश से एक जिन मंदिर बना था। उसकी प्रतिष्ठा का काम अभी होना था। इसी अभिप्राय से उनका विशेष आग्रह होरहा था। आपने करचेलिया संघ को योग्य शब्दों में आश्वासन दिलाया और चौमासे के पश्चात रहां पधारने का संकल्प प्रदर्शित किया । । चौमासा पूरा हुआ। आप मेहसाणा होकर अहमदाबाद पधारे। आपके इस जैन-नगर में प्रवेश का दृश्य दर्शनीय था। जुलूस में १० हजार के करीब मनुष्यों की
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