________________
अर्बुदाचल ( आबूजी) यात्रा के लिये पधारे। यात्रा करके पालणपुर के मार्ग से आप पाटण पधारे। . आपको प्रवर्तकजी श्रीकान्तिविजयजी महाराज के दर्शनों की बहुत आकांक्षा थी। उनके दर्शन करके आपने अपनी इच्छा सफल की। आपके पाटण पधारने पर वहीं एक महोत्सव हुआ। दूर दूर से श्रावक श्राविकाओं का संमुदाय उत्सव में शामिल हुआ। श्री आत्मानंद जैन गुरुकुल पंजाब (गुजरांवाला) और पालणपुर जैन बोर्डिङ्ग हाऊस के अध्यापक और विद्यार्थी भी उपस्थित हुये । पंचासरे के सहन में उत्सव का प्रबंध किया गया। गुजरांवाला और पालणपुर के विद्यार्थियों ने व्यायाम के खेल, स्काऊटिङ्ग के करतब दिखाये। रात को गुजरांवाला के विद्यार्थियों ने नाटक करके जनता का मनोरंजन किया । श्री विजयसिद्धिमूरिजी महाराज भी उन दिनों वहीं पाटण में विराजमान थे। पंचासरे के उत्सव में वे भी पधारे थे। - इस प्रकार सब मुनिराजों के सम्मिलित होने से उत्सव की रौनक तो बढ़ी ही, प्रत्युत जनता पर भी इसका अपूर्व प्रभाव पड़ा। तदनन्तर भीलड़ियाजी तीर्थ की यात्रा करके पालणपुर आदि पधार कर आप फिर पाटण वापिस आये। अहमदाबाद से श्री हंसविजयजी महाराज
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org