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________________ Jain Education International १ जैन ४ न्याय-वैशेषिक १ सम्यग्ज्ञान १ रागादिह्रास का प्रारंभ ५ वेदान्त . १ सम्यग्दर्शन २ रागादिहास का प्रारंभ १ सम्यग्दर्शन २क्षपकश्रेणीका- रागादि के ह्रास का-प्रारंभ ३ शुक्लध्यान के बल से मोहनीय का- रागादिदोष का प्रात्यन्तिक क्षय २ बौद्ध १ सम्यग्दृष्टि २ रागादि क्लेशों के ह्रास का प्रारंभ ३ भावना के बल से क्लेशावरण का आत्यन्तिक क्षय ३ सांख्य-योग १ विवेक ख्याति २ प्रसंख्यानसंप्रज्ञात समाधि का प्रारंभ ३ असंप्रज्ञातधर्ममेघ समाधि द्वारा रागादि क्लेशकर्म की आत्यन्तिक निवृत्ति ४ प्रकाशावरण के नाश द्वारा . सार्वज्य ३ भावना-निदि. ध्यासन के बल से क्लेशों का क्षय For Private & Personal Use Only ३ असंप्रज्ञात-धर्म- मेघ समाधि द्वारा रागादि क्लेशकर्म की प्रात्यन्तिक निवृत्ति ४ समाधिजन्य धर्म द्वारा सार्वक्ष्य केवल शान की उत्पत्ति का क्रम ४ ज्ञानावरण के सर्वथा नाश द्वारा सर्वज्ञत्व '४ भावना के प्रकर्ष से ज्ञ यावरण के सर्वथा नाश के । द्वारा सर्वज्ञत्व ४ ब्रह्मसाक्षात्कार के द्वारा अज्ञानादि का विलय www.jainelibrary.org
SR No.002661
Book TitleDarshan aur Chintan Part 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherSukhlalji Sanman Samiti Ahmedabad
Publication Year1957
Total Pages950
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size16 MB
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