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________________ ४०७ चतुर्विध वाक्यार्थ बाहुकर्तृक मानी जानेवाली नियुक्ति का ही भाग होना चाहिए । नियुक्ति में अनुगम शब्द से जो व्याख्यानविधि का समावेश हुआ है वह व्याख्यानविधि भी वस्तुतः बहुत पुराने समय की एक शास्त्रीय प्रक्रिया रही है । हम जब आर्य परंपरा के उपलब्ध विविध वाङ्मय तथा उनकी पाठशैली को देखते हैं तब इस अनुगम की प्राचीनता और भी ध्यान में आ जाती है । आर्य परंपरा की एक शाखा जरथोस्थियन को देखते हैं तब उसमें भी पवित्र माने जानेवाले अवेस्ता आदि ग्रन्थों का प्रथम विशुद्ध उच्चार कैसे करना, किस तरह पद आदि का विभाग करना इत्यादि क्रम से व्याख्याविधि देखते हैं। भारतीय आर्य परंपरा की वैदिक शाखा में जो मन्त्रों का पाठ सिखाया जाता है और क्रमशः जो उसकी अर्थविधि बतलाई गई है उसकी जैन परंपरा में प्रसिद्ध अनुगम के साथ तुलना करें तो इस बात में कोई संदेह ही नहीं रहता कि यह अनुगमविधि वस्तुतः वही है जो जरथोस्थियन धर्म में तथा वैदिक धर्म में भी प्रचलित थी और आज भी प्रचलित है। जैन और वैदिक परंपरा की पाठ तथा अर्थविधि विषयक तुलना१ वैदिक २. जैन १ संहितापाठ (मंत्रपाठ) १ संहिता ( मूलसूत्रपाठ ) १ २ पदच्छेद ( जिसमें पद, क्रम, जटा २ पद २ श्रादि आठ प्रकार की विविधानुपूर्वित्रों का समावेश है ) ३ पदार्थज्ञान ३ पदार्थ ३, पदविग्रह ४ ४ वाक्यार्थज्ञान ४ चालना ५ ५ तात्पर्यार्थनिर्णय ५ प्रत्यवस्थान ६ जैसे वैदिक परंपरा में शुरू में मूल मंत्र को शुद्ध तथा अस्खलित रूप में सिखाया जाता है; अनन्तर उनके पदों का विविध विश्लेषण; इसके बाद जब अर्थविचारणा-मीमांसा का समय आता है तब क्रमशः प्रत्येक पद के अर्थ का ज्ञान; फिर पूरे वाक्य का अर्थ ज्ञान और अन्त में साधक-बाधक चर्चापूर्वक तात्पार्थ का निर्णय कराया जाता है वैसे ही जैन परंपरा में भी कम से कम नियुक्ति के प्राचीन समय में सूत्रपाठ से अर्थनिर्णय तक का वही क्रम प्रचलित था जो अनुगम शब्द से जैन परंपरा में व्यवहृत हुआ। अनुगम के छह विभाग जो अनुयोगद्वारसूत्र' में हैं उनका परंपरा प्राप्त वर्णन जिनभद्र क्षमाश्रमण ने १ देखो, अनुयोगद्वारसूत्र सू० १५५ पृ० २६१ । . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002661
Book TitleDarshan aur Chintan Part 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherSukhlalji Sanman Samiti Ahmedabad
Publication Year1957
Total Pages950
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size16 MB
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