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जैन धर्म और दर्शन जो न उत्पादक है और न परिणामी, २-स्थल या सूक्ष्म भासमान जगत् की उत्पत्ति का या उसे परिणाम मानने का सर्वथा निषेध, ३-स्थूल जगत् का अवास्तविक या काल्पनिक अस्तित्व अर्थात् मायिक भास मात्र । १ आरम्भवाद • इसका मंतव्य यह है कि परमाणु रूप अनंत सूक्ष्म तत्त्व जुदे-जुदे हैं जिनके पारस्परिक संबंधों से स्थूल भौतिक जगत का नया ही निर्माण होता है जो फिर सर्वथा नष्ट भी होता है। इसके अनुसार वे सूक्ष्म प्रारंभक तत्त्व अनादि निधन हैं, अपरिणामी हैं। अगर फेरफार होता है तो उनके गुणधर्मों में ही होता है। इस वाद ने स्थूल भौतिक जगत का संबंध सूक्ष्म भूत के साथ लगाकर फिर सूक्ष्म चेतन तत्त्व का भी अस्तित्व माना है। उसने परस्पर भिन्न ऐसे अनंत चेतन तत्त्व माने जो अनादिनिधन एवं अपरिणामी ही हैं । इस वाद ने जैसे सूक्ष्म भूत तत्त्वों को आपरिणामी ही मानकर उनमें उत्पन्न नष्ट होने वाले गुण धर्मों के अस्तित्व की अलग कल्पना की वैसे ही चेतन तत्त्वों को अपरिणामी मानकर भी उनमें उत्पाद विनाशशाली गुण-धर्मों का अलग ही अस्तित्व स्वीकार किया है। इस मत के अनुसार स्थूल भौतिक विश्व का सूक्ष्म भूत के साथ तो उपादानोपादेय भाव संबंध है पर सूक्ष्म चेतन तत्त्व के साथ सिर्फ संयोग संबंध है। २ परिणामवाद : इसके मुख्य दो भेद हैं (अ) प्रधानपरिणामवाद और (ब) ब्रह्म परिणामवाद ।
(अ) प्रधानपरिणामवाद के अनुसार स्थूल विश्व के अंतस्तल में एक सूक्ष्म प्रधान नामक ऐसा तत्त्व है जो जुदे-जुदे अनंत परमाणुरूप न होकर उनसे भी सूक्ष्मतम स्वरूप में अखण्ड रूप से वर्तमान है और जो खुद ही परमाणुओं की तरह अपरिणामी न रहकर अनादि अनंत होते हुए भी नाना परिणामों में परिणत होता रहता है। इस वाद के अनुसार स्थूल भौतिक विश्व यह सूक्ष्म प्रधान तत्त्व के दृश्य परिणामों के सिवाय और कुछ नहीं। इस वाद में परमाणुवाद की तरह सूक्ष्म तत्त्व अपरिणामी रहकर उसमें स्थूल भौतिक विश्व का नया निर्माण नहीं होता । पर वह सूक्ष्म प्रधान तत्त्व जो स्वयं परमाणु की तरह जड़ ही है, नाना दृश्य भौतिक रूप में बदलता रहता है। इस प्रधान परिणामवाद ने स्थल विश्व का सूक्ष्म पर जड़ ऐसे एक मात्र प्रधान तत्त्व के साथ अभेद संबंध लगाकर सूक्ष्म जगत् में चेतन तत्त्वों का भी अस्तित्व स्वीकार किया । इस वाद के चेतन तत्त्व प्रारंभवाद की तरह अनंत ही हैं पर फर्क दोनों का यह है कि आरंभवाद के चेतन तत्त्व अपरिणामी होते हुए भी उत्पाद विनाश वाले गुण-धर्म युक्त हैं जब कि प्रधान परिणामवाद के चेतन तत्त्व ऐसे गुणधर्मों
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