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नि. २४३]
तीर्थकराणां सामान्यम् ।
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पुनसयसहस्साई पंच सुपासे कुमारवासो उ । चउदस पुण रज्जमी वीसं अंगा य बोद्धव्या ॥२८३।। अड्डाइज्जा [ अद्भुट्ठा उ] लक्खा कुमारवासो ससिप्पहे होइ । अद्धं छ चिय रज्जे चवीसंगा य वोद्धव्वा ॥२८४॥ पण्णं पुन्चसहस्सा कुमारवासो उ पुष्पदंतस्स । तावइअं रज्जमी अठ्ठावीसं च पुव्वंगा ॥२८५।। पणवीससहस्साई पुव्वाणं सीअले कुमारत्तं । तावइअं परिआओ पण्णासं चेव रज्जमि ॥२८६॥ वासाण कुमारत्तं इगवीसं लक्ख हुँति सिज्जंसे । तावइअं परिआओ वायाली सं च रज्जमि ॥२८७॥ गिहवासे अट्ठारस वासाणं सयसहस्स निअमेणं । चउपण्ण सयसहस्सा परिआओ होइ वसुपुज्जे ॥२८८।। पण्णरस सयसहस्सा कुमारवासो अ तीसई रज्जे । पणरस सयसहस्सा परिआओ होइ विमलस्स ॥२८९॥ अद्धहमलक्खाई वासाणमणंतई कुमारत्ते । तावइ परिआओ रज्जमी हुंति पण्णरस ॥२९०॥ धम्मस्स कुमारत्तं वासाणऽड्ढाइआई लक्खाई । तावइअं परिआओ रज्जे पुण हुंति पंचेव ॥२९॥ संतिस्स कुमारत्तं मंडलियचकिपरिआअ चउमुं पि । पत्तेअं पत्तेअं वाससहस्साई पणवीस ॥२९२॥ एमेव य कुंथुस्स वि चउमु वि ठाणेसु हुंति पत्तेअं । तेवीस सहस्साई वरिसाणट्ठमसया य ॥२९३।। एमेव अरनिगिंदस्स चउसु वि ठाणेसु हुंति पत्ते । इगवीस सहस्साई वासाणं हुंति णायव्वा ॥२९४।। मल्लिस वि वाससयं गिहवासे सेसअं तु परिआओ। . चउपण्ण सहम्साई नव चेव सयाइ पुण्णाई ॥२९५।।
त्तिम।
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