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आणंद-सावय-संधि नंदणवणि तिणि' सउं देउ जाइ तिहिं विलसह फुल्लिय वणह राइ संताण कप्पदुम पारिजाय मंदार पवर हरिचंदणा य तहिं वावि रयण-सोमाण-पंति कीलाहर पिक्खइ विउल-कंति इत्थंतरि आवई अच्छराउ पय-रणझणंत-वर-नेउराउ । तहिं साहिलास-देवंगणाहिं कंदप्प-दप्प- थिर-जुव्वणाहि
उवगृहिय विविह-नेहेण गादु सो विलसह रइ-सागरवगादु 'भणमिस-नयणु मण-कज्ज-सिद्धि अमिलाय-मल्लु 1 अक्खुडिय-रिद्धि नितु नह-गीय-''पेखण-विणोइ कालं गमेइ सो सग्ग-लोइ सिरि-रयणसेहर-सुगुरूवएसि सिरि-विणयचंद तसु सीस लेखि अज्झयणु पढमु इह सत्तमंगि उद्धरिउ-संधि-बंधेण रंगि
पत्ता जं इह हीणाहिउ किंचि वि साहिउ तं सुयदेवी मह खमउ15 1 इह जु पढइ जु गुणइ वाचइ निसुणइ मुत्ति-नियंबिणि सो रमउ ॥१५
1. A तिण सो 2. A वणसई 3. B सोवाण 4. B केलीहर 5. A आवहि 6. B चिर० 7. B उवयरिव पवरनहेण गाढ 8 B अणमेस 9. B अमलाय 10. A अखुडिय 11. A पिक्खण-विणोय 12. B णाहिउ 13. B मज्झ खमउं 14. B जं पढत गुणतह श्रवणि सुणतह मुत्तिरमणि तं वरउ वर ॥
अंत: A॥ इति श्री महावीरपर्युपासकस्य श्रीमदानंदाभिधान प्रथमोपकास(पासक)स्य संधिः समाप्ता ||BI इति श्री वर्धमान-जिन-प्रथमोपासकस्य आनंद-सुश्रावकस्य संधिः समाप्तः ॥
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